छठे चरण के चुनाव के लिए नामांकन भरने का काम पूरा हुआ |फूल मालाओं से लदे फदे प्रत्याशी अपने नामांकन दाखिल कर आये |नामांकन के आखिरी दिन यशोप्रार्थी अभ्यागतों को देख कर मेरे एक विद्वान मित्र ने त्वरित टिप्पणी दर्ज़ की ,लो गए सारे बरसाती मेंढक मैदान में |विद्वानों के साथ यही तो समस्या है कि एन मौके पर उनकी कल्पना शक्ति चूक जाती है और वे अतीत के अजायबघरों से ऐसे मुहावरे उठा लाते हैं ,जिनसे केवल अर्थ का अनर्थ ही नहीं होता वरन कुछ आवांतर प्रसंग भी मुखर हो उठते हैं |मसलन ये बरसाती मेंढक वाला मुहावरा आज की युवा पीढ़ी के लिए समझ से कतई बाहर है |इस पीढ़ी ने तो किसी बरसात में यहाँ -वहाँ टर्राते मेंढ़को का कभी दीदार ही नहीं किया |रासयनिक खाद और प्रदूषण ने मेंढकों को तेज़ी से विलुप्त होती प्रजातियों की सूची में डलवा दिया है| मेरे शहर की किसी बरसात में इनका होना पर्यावरणविदों के लिए एक शुभ संकेत और शोध का विषय हो सकता है| अलबत्ता मेरे शहर की खुली नालियों ,गटरों और मेनहोलों की गंदगी में बजबजाते ऐसे कीड़ों की कोई कमी नहीं ,जिन्होंने बदलते समय के साथ प्रदूषित पानी में जीने की कला सीख ली है|मक्खी ,मच्छर और तिलचट्टों की भी कोई कमी नहीं जो हर प्रकार की जहरीली दवा या धुएं के खिलाफ निर्णायक जंग जीत चुके हैं |वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य को अभिव्यक्त करने लिए मक्खी मच्छर और तिलचट्टे बरसाती मेंढक से बेहतर और अधिक सारगर्भित विकल्प हो सकते हैं |
इस बार के चुनाव एकदम बेरौनक़ हैं |हमारा चुनाव आयोग जबसे पुराने समय के मिडिल स्कूल के कड़क हेडमास्टर की भूमिका में आया है,तब से सारे खुराफाती लोगों के तिकड़मी दिमागों में हरदम जलते रहने वाले बल्ब फ्यूज हो गए हैं | वे कुछ इस तरह 'कन्फूज' हो गए हैं कि उनकी समझ में ही नहीं आ रहा कि आचार सहिंता में कैसे और कितने छेद करें कि विजय की मंजिल सहज सुलभ हो जाये |इनको लग रहा है कि यदि हालात ऐसे ही रहे तो वे अन्तोगत्वा सुलभ -----के अरीब करीब विचरण करते दिखाई देंगे |आचार सहिंता का खौफ कुछ इस तरह तारी है कि केवल स्थानीय स्तर पर ही नहीं प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर पर भी विद्वानों के सामने कल्पनाशीलता का मानो आकाल पड़ गया है |न कोई दरबारी कवि चुनाव जिताऊ नारा दे पा रहा है न किसी किसी दिग्गज रणनीतिकार के पास ऐसी व्यंगोक्ति है जो विपक्षियों के दिलों को बेध सके |ले -दे कर एक बेचारा मेंढक ही बचा ,जिसका इस्तेमाल लोग गाहे -बगाहे कर रहे हैं |एक ने दूसरे नेता को बरसाती मेंढक कह दिया तो तुरंत पलटवार हुआ -हाँ ,मैं बरसाती मेंढक हूँ |प्रदेश भर के पापा मम्मी इस साफगोई पर ठीक से मुस्करा भी नही पाए थे कि उनसे बच्चे पूछने लगे ,ये मेंढक किस देश में और किस मौसम में दिखाई देते हैं |
अब इन बच्चों को कौन बताये कि पहले तो मेंढक बरसात में खूब दिख जाया करते थे ,यहाँ -वहाँ फुदकते ,टर्राते ,धमाल करते | तालाबों और पोखरों के करीब |बरसात के ठहरे हुए पानी में मटरगश्ती करते |कीट पतंगों को अपना आहार बनाते |अब ये बायलोजी की किताब में किसी चित्र के रूप में दिखते हैं |इनकी टांगे बड़ी लज़ीज़ होती हैं इसलिए ये यूरोप और अमरीका के तमाम धनी मुलकों के पांच सितारा होटलों के मुख्य मैन्यू में उपलब्ध हैं |हमारा मुल्क इनका सबसे बड़ा निर्यातक है |हमने अपने बरसाती मेंढकों को विदेशियों की खाने की थाली में सजने के लिए देश बदर कर दिया है| ये बरसाती मेंढक ऐसी एक दुर्लभ जिंस है ,जिनका मांग के अनुपात में उत्पादन बेहद कम है |ये तो साक्षात यूरो डॉलर हैं |विदेशी बाज़ारों में जिसकी मांग होती है ,वे तो बेशकीमती होते हैं ,चाहे वे हमारी कमसिन लड़कियां हों ,ऊंट दौड़ में इस्तेमाल होने वाले बच्चे ,कुशल कामगार या फिर प्रतिभासम्पन्न विज्ञानी या ----या फिर बरसाती मेंढक |
अब समय आ गया है कि इन बरसाती मेंढकों को अपने मुहावरों से भी निकाल बाहर करें |इस गरीब मुल्क को उनकी देशज राजनीति में नहीं विदेशी मुद्रा बाज़ार में धनार्जन के लिए बड़ी ज़रूरत है |इन मेंढकों के लिए उदास या भावुक न हों |इनका निर्यात निजी और देशहित दोनों के लिए है |ये जहाँ भी मिलें,जिस हालात में जैसे भी मिलें ,इन्हें पकडें और निर्यात कर दें | देश के व्यापारिक सेहंत के लिए यह ज़रूरी भी है और अपरिहार्य भी |
निर्मल गुप्त