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शुक्रवार, 25 नवंबर 2011

फ्रीलांस मुखबिर कभी घटतौली नहीं करते




                 क्या आप कल्लू हलवाई ,गोरे पतंगफरोश ,रामजी सब्जी विक्रेता ,संजीवन नाई,मिश्राजी रिटायर्ड बड़े बाबू ,अबरार नक्शानवीस ,माइकल साइकल मरम्मत मिस्त्री ,हनीफ डेंटर,टिंकू किरानेवाला ,जगमग ड्रायक्लीनर ,बच्चू निठल्ला  ,टिंकू ड्रापआउट ,बैरागी गवैया  ,चुन्नू मुखबिर ,सींकची बाहुबली ,चिड़िया पहलवान ,पानू किमामबाज़ ,युवानेता रग्घू उम्रदराज़,चाटुकार आंटी  ,मटक्को ताई या इनसे मिलते जुलते नामों वाले लोगों से भलीभांति परिचित हैं ?इस सवाल   के उत्तर के लिए बस दो ही ऑप्शन(विकल्प )हैं -एक हाँ और दूसरा नही|यदि आपका जवाब नकारात्मक है तो मुझे अत्यंत खेद के साथ कहना होगा कि आपके पास इस शहर में सम्मानपूर्वक जीने की न्यूनतम आहर्ता नहीं है |यदि आपका जवाब हाँ है तो आपको बताना होगा कि इनमें से किसको  को आप कितना जानते और पहचानते हैं और इनसे आपके संबध कितने प्रगाढ़ हैं |
                मैं आपको बताता चलूँ कि ऊपर दिए गए ये सारे नाम काल्पनिक हैं पर इन सभी का अस्तित्व वास्तविक  है और ये ही हैं जो मेरे शहर के अलिखित संविधान के पटकथा लेखक भी  हैं,निर्माता ,निर्देशक ,नियामक  और प्रमुख पात्र भी |देश -दुनिया से लेकर घर परिवार तक  की हर ज़रूरी या गैर ज़रूरी घटना पर इनकी त्वरित टिप्पड़ी अंकित होती है और चाहे -अनचाहे उसका अनुपालन करना सभी के लिए सामाजिक रूप से बाध्यकारी होता है |अखबारवालों के लिए ये  सूचना की विश्वसनीयता की जमानत हैं |घाघ पुलिसिये जानते हैं कि इलेक्ट्रानिक सर्विलांस असफल हो सकता है पर इनके दिए क्लू में कभी खोट नहीं मिला करती |अपने अन्य धंधों में ये चाहे जो करते हों पर  सूचना उपलब्ध कराने के मामले में घटतौली कभी नहीं करते |  ये ऐसे विचारक हैं जिनका हर कथन ध्यानपूर्वक सुना   और सराहा जाता है |अपने नियत ठियों के अलावा इनका गली कूंचों के लैम्पपोस्ट के इर्द - गिर्द ,अँधेरे कोनों में यहाँ वहाँ ,पान के खोखों के आसपास ,घरों की चौखट पर  गृहस्वामिनी के कान के नज़दीक और चायखानों के बोसीदा बेंचों के दरमयां  बसेरा रहता है |इनसे लोग डरते भी हैं ,कतराते भी हैं, फिर भी  इनकी उपस्थिति को सामाजिक रूप से एक आवश्यक बुराई के रूप में अंगीकार किये हैं |सारी अफवाहें इनसे ही शुरू होती हैं और सच झूठ की बदनाम गलियों से गुज़रती हुई किसी के लिए चटखारेदार चटपटी बतरस ,किसी के लिए सच का सामना और किसी के लिए कुनेन सरीखा कड़वे  अनुभूत यथार्थ का आकार गृहण कर लेती हैं |ये इतने  सर्वव्यापी और सर्वज्ञानी होते हैं कि बिना किसी अत्याधुनिक सूचना तकनीक के इनके पास सदैव  पुख्ता जानकारियां रहती हैं  कि मोहल्ले की कौनसी लड़की किस लड़के के साथ फुर्र होने की योजना बना रही है ,कौनसी बहू अपने साथ दहेज में मिनी स्कर्ट लायी है और वह अपने सास -ससुर से छिपकर कब -कब और कितनी बार उसे  पहन चुकी है ,किसका लड़का परीक्षा में फेल होने के बाद नकली मार्कशीट बनवाने की जुगाड़ में है ,बंद गली के आखिरी मकान में रहने वाला वीररस का  ओजस्वी कवि अचानक प्रेमरस में डूबी हुई कविताएँ किसे इंगित कर लिख रहा है ,कौन सा भावी सांसद,विधायक या पार्षद ,किस गली के किस -किस मकान में नकली वोटरकार्ड बनवाने की जुगत कर रहा है ,तीसरी गली के चौथे मकान में रहने वाले  फैक्ट्री में हुई तालाबंदी के कारण अरसे से  बेरोजगार सुपरवाइजर के घर की  रसोई से अब दोनों समय  मटन चिकिन पकने  की गंध कैसे  आने लगी है,चार हज़ार रूपये मासिक की पगार पर नौकरी करने वाली उस  लड़की के गले में कीमती नैकलेस कैसे आया जो कल तक गली के पंसारी का पूरा क़र्ज़ कभी न चुका पाई थी |लब्बोलुआब यह कि उनसे कुछ भी छुपा नहीं |कहने वाले तो यह भी कहते हैं कि इनको अपनी गली से गुजरने वाली हर लड़की के सीने में खोंस कर रखे गए रूमाल का रंग तक पता रहता है |इनकी आँखों से एक्सरे प्रवाहित होती हैं ,जो सात पर्दों में छुपा भी जान लेती हैं |
                 इनकी महिमा अपरम्पार है |इनकी थाह कोई नहीं समझ पाया|इसके बावजूद इनका किसी नए -पुराने अंडरवर्ड सरगने से प्रत्यक्ष या परोक्ष कोई सम्बन्ध नहीं रहा करता  |ये तो अपनी आदत से विवश ऐसे फ्रीलांस सत्यान्वेषी हैं ,जिनकी संत कबीर की तरह न तो किसी से दोस्ती है न किसी से बैर |इनका होना कभी किसी के लिए  मुसीबत का सबब बनता रहा  है तो कभी किसी के लिए असलियत जानने के लिए  सरलता से मिल जाने वाला चोर रास्ता |
              यकीनन ये मेरे शहर के ओपिनियनमेकर हैं ,ऐसे स्वछन्द टिप्पड़ीकार जिनकी मेधा की सही शिनाख्त के बिना  सुचारुरूप से  मेरे शहर में रामभरोसे   चलती आपके जीवन की गाड़ी कभी भी कहीं भी पटरी से उतर सकती है |मेरा नम्र सुझाव है कि इन्हें जितनी जल्दी संभव हो ठीक से जान लें |इन्हें आपकी कम ,आपको इनकी अधिक  ज़रूरत बार -बार पड़ेगी |

2 टिप्‍पणियां:

  1. वाह वाह | अब आपके व्यंग्य में धार तेज हो रही है | व्यंग लिखने के लिए बड़ी साधना और प्रखर मेधा की जरुरत होती है आपको दोनों हासिल है आपका लेखन यह सिद्ध कर रहा है |

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