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शुक्रवार, 9 दिसंबर 2011

यह कोई अच्छी खबर नहीं है


 यह कोई महज़ सुना सुनाया किस्सा नहींहै पर इस खबर में से पात्रों के नाम और स्थान नदारद हैं इसलिए यह अख़बारों में छपने लायक खबर भी नहीं है ।इसके बावजूद यह एक सच्ची घटना है ।मेरे शहर में सच कभी -कभी अफवाह बन कर वातावरण में तैरा करता है और इसको नज़रंदाज़ करने में कोई कभी देरी नहीं करता।अलबत्ता झूठ की परवाज़ बड़ी संतुलित और ऊँचे आकाश में होती है।पर मैं जो कहानी आपको सुनाने जा रहा हूँ वह सच है और हैरत की बात  है कि भोलीभाली भयभीत लड़कियों के चकनाचूर हुए सपनों की बुनियाद पर खड़ी यह  कहानी दुखांत नहीं है ।पर इसमें भविष्य के लिए ऐसे  असुविधाजनक सवाल ज़रूर  मौजूद हैं जिनके जरिये अनेक दुखांत गाथाओं का लिखा जाना तय है।
मुंबई में सरे रह बच्ची को गुंडों ने गाड़ी में खींच लिया ........गाज़ियाबाद में भी इससे मिलती जुलती घटना हुई...... मेरठ में भी ठीक ऐसी ही घटना घटी सुबह सवेरे सभी ने इस खबर को पढ़ा और कुछ देर बाद इसको एक और अपराधिक घटना मान कर हॉट नायिका की  किसी सिल्की  डर्टी पिक्चर पर अपना ध्यान केंद्रित कर लिया ।पर एक दंपत्ति के लिए इस खबर के पार जाकर जिंदगी का लुत्फ़ उठा पाना आसान न था ।वे बेचैन थे ।अब उनके लिए यह जानना ज़रूरी हो गया था कि गर्भ में पल रही उनके प्यार की निशानी का लिंग क्या है ।कल तक ये संस्कारवान सुशिक्षित दंपत्ति निश्चिन्त थे और नए मेहमान के आगमन को लेकर रोमांचित भी ।नवागत बेटा होगा या बिटिया यह उनके कौतुहल का सबब नहीं था ।पर इस एक खबर ने अनायास उनकी सोच को बदल डाला ।उन्होंने तय कर लिया कि वे गर्भस्थ शिशु का लिंग जन्म से पहले जानेंगे और यदि वह बेटा है तो उसे ही इस दुनिया में आने की इजाजत देंगे ।बेटियों के लिए निरंतर असुरक्षित होती इस दुनिया में उनको जन्म देने का जोखिम क्यों उठायें ।उस दंपत्ति ने तब एक क्रूर निर्णय लिया ।वे एक अल्ट्रासाउंड करने वाले केन्द्र पर पहुंचे ,जिस पर लिखा था कि लिंग परीक्षण कानूनन अपराध है ।फिर खुलेआम अपराध संपन्न हुआ।जब तक परिणाम सामने नहीं आया दंपत्ति के दिल आशंका से जोर -जोर से धड़कते रहे ।मुबारक हो ......डाक्टर ने कहा ,आपके घर में बेटे की किलकारी गूंजेगी ।सस्पेंस खत्म हुआ ।वे खुशी -खुशी घर लौट आये ,बिना किसी अपराधबोध के।
 एक आपराध कथा का  सुखांत हुआ ,पर हमेशा ऐसा नहीं हुआ करता ।बेटियां असुरक्षित हैं ।उनका विवाह करना आसान नहीं है ।पर्याप्त दान दहेज की  व्यवस्था के बिना शादी की मंडी से उपयुक्त वर को कैसे खरीदा जा सकता है ।जन्म जन्मान्तर के संबंधों के हाट में भावनाएं नहीं बस व्यापार की दुनिया का सिक्का ही चलता है ।सब कुछ करने के बाद भी इस बात को कोई नहीं जनता कि ससुराल में बेटी का जीवन कितना खुशियों से भरापूरा या कष्टों में रहेगा ।घर -बाहर बेटियां सभी जगह असुरक्षित हैं ।उनकी अस्मिता खतरे में हैप्रत्येक बेटी के माँ बाप जानते हैं कि इस समाज में उन्हें सुरक्षित रख पाना कितना कठिन होता जा रहा है ।नृशंस शिकारी चारों ओर घूम रहे हैं ।किसी के पास अपनी वासना की पूर्ति के लिए तमाम भावनात्मक उपकरण हैं तो कोई अपनी आस्तीन में लव के माध्यम से धर्मयुद्ध का मंसूबा पाले है ।अनेक बहेलिये तरह -तरह के जाल फैलाये बैठे हैं ,उनके लिए तो ये लड़कियां एक आसान और  लज़ीज़ शिकार हैं ।अब तो हमने भी ज़लेबी ,गुलाबजामुन की तर्ज़ पर लड़कियों के साथ जुड़ता हॉट (गर्मागर्म )का विशेषण स्वीकार कर  लिया है ।हमने  इन्हें सजावटी सामान बना कर इनसे इनके नैसर्गिक जीवन  जीने का हक छीन लिया है 
                        आज लड़कियां उदास हैं ।उनसे उनके जीने के सपनों का अपहरण किया जा रहा है ।उनका जीवन माँ की  कोख में भी खतरे में है ।हालाँकि मेरे शहर के लोगों ने सोचने -विचारने का काम अकादमियों की हद में कैद चंद विचारकों ,मंचासीन होकर गालबजाने वाले माहिर  चिंतकों और छपासरोग से पीड़ित लेखकों \पत्रकारों के लिए छोड़ दिया है ,फिर भी मेरी सभी से गुज़ारिश है कि यदि मौका मिले तो भोलीभाली बेटियों के अनायास गुमसुम हो जाने का कारण जानने की कोशिश ज़रूर करें। यकीनन बेटियों का यूं उदास हो जाना कोई अच्छी खबर नहीं है 

                       

2 टिप्‍पणियां:

  1. 'प्रत्येक बेटी के माँ बाप जानते हैं कि इस समाज में उन्हें सुरक्षित रख पाना कितना कठिन होता जा रहा है |नृशंस शिकारी चारों ओर घूम रहे हैं |किसी के पास अपनी वासना की पूर्ति के लिए तमाम भावनात्मक उपकरण हैं तो कोई अपनी आस्तीन में लव के माध्यम से धर्मयुद्ध का मंसूबा पाले है |अनेक बहेलिये तरह -तरह के जाल फैलाये बैठे हैं ,उनके लिए तो ये लड़कियां एक आसान और लज़ीज़ शिकार हैं ||
    आज लड़कियां उदास हैं |उनसे उनके जीने के सपनों का अपहरण किया जा रहा है |उनका जीवन माँ की कोख में भी खतरे में है |हालाँकि मेरे शहर के लोगों ने सोचने -विचारने का काम अकादमियों की हद में कैद चंद विचारकों ,मंचासीन होकर गालबजाने वाले माहिर चिंतकों और छपासरोग से पीड़ित लेखकों \पत्रकारों के लिए छोड़ दिया है ,फिर भी मेरी सभी से गुज़ारिश है कि यदि मौका मिले तो भोलीभाली बेटियों के अनायास गुमसुम हो जाने का कारण जानने की कोशिश ज़रूर करें| यकीनन बेटियों का यूं उदास हो जाना कोई अच्छी खबर नहीं है |'
    आपका आलेख बहुत मर्मस्पर्शी है किन्तु'अपनी आस्तीन में लव के माध्यम से धर्मयुद्ध' वाली बात गले नहीं उतरती | मुझे यह दुष्प्रचार लगता है | लव धर्म
    या जाति देखकर नहीं होता |लव जेहाद कोई चीज ही नहीं है |

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  2. मधुरजीइ ,आपकी सहमति सिर माथे .पर क्या वास्तव में महज दुष्प्रचार ही है ये प्यार और धर्मयुद्ध वाला प्रसंग ?इससे किसे इंकार है कि प्यार कभी किसी मजहब का मोहताज नहीं रहा .प्यार संभवतः आदमी की सबसे आदिम ख्वाइश है इसीलिए इसका होना अपरिहार्य है .

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