मेरठ मेरा शहर है .यह जैसा भी है पर है पर है दिल के आसपास.इसे केन्द्र में रखकर लिखा तो एक किताब बनी -एक शहर किस्सों भरा .यह किताब गरियाई भी गई सराही भी गई .
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रविवार, 3 जुलाई 2011
जादू की छड़ी नहीं ,शब्दों का मायाजाल (हरिभूमि में प्रकाशित लेख }
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