फार्मूला वन की गाडियां जब ग्रेटर नॉएडा के रेसिंग ट्रैक पर दुनिया भर के कार चालक साढ़े तीन सौ किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ़्तार भर कर एक दूसरे को पछाड़ने में लगे थे ,तब मेरे शहर की सड़कों पर लगभग पांच किलोमीटर प्रतिघंटा की औसत स्पीड पर रेंगती गाडियां तमाम साइकिलों,रिक्शाओं ,घोड़े तांगों और हाथ ठेलों से लगातार पराजित होती हुई वाइब्रेंट मेरठ की ऐसी इबारत दर्ज करने में मशगूल थीं ,जिसे पढ़ने के बाद आक्सफोर्ड डिक्शनरी के निर्माता वाइब्रेंसी शब्द के लिए नए मायने ढूँढने की ज़रूरत महसूस कर रहे होंगे| |इस कार रेस को देखने के लिए देश - दुनिया से लोग आये ,जिनमें अनेक ऐसे स्टार, सेलिब्रिटी और आइटम गर्ल भी थीं,जो सात समन्दर की मिथकीय दूरी को लाँघ बाकायदा टिकट खरीद कर महज इस अकल्पनीय स्पीड के रोमांच के साक्षी बनने के लिए यहाँ आये थे |लेकिन मुफ्त कम्प्लीमेंटरी पास न मिल पाने से आहत राजधानी के अधिसंख्य सत्तापुरुष अपने -अपने कोपभवनों में बैठे कर यही बयान जारी करते रहे कि यह तो धनबल का अपराधिक दुरूपयोग है , धन का सदुपयोग तो गरीबों के कल्याणार्थ होना चाहिए|
मुफ्त कम्प्लीमेंटरी पास का न मिल पाना ,कितना तिलमिला देने वाला अनुभव होता है ,इस बात को मेरे शहर के लोगों से बेहतर भला कौन जानता है |इसी के ज़रिये तो पता चल पाता है कि किसकी अपने शहर में कितनी और क्या औकात है |बंदर के नाच हो या कुत्तों की झपटमारी का प्रदर्शन ,कवितापाठ हो या शास्त्रीयगायन या फिर किसी अल्पवस्त्रधारी नृत्यांगना का प्रदर्शन ,यदि उसे देखने के लिए अग्रिम पंक्ति का मुफ्त पास आयोजकों की मानवीय चूक के चलते किसी स्वनामधन्य को न मिल पाना ठीक वैसा ही है जैसे कोई शोहदा ब्यूटीपार्लर से सज संवर के निकलती युवती की ओर फिकरा उछालने के विलम्ब कर दे |जैसे कोई पति अपनी पत्नी के द्वारा पकाई गयी आलू की सब्जी को बेस्वाद कहने का दुस्साहस कर बैठे |जैसे कोई मातहत अपने अधिकारी की लिखी किसी टिप्पड़ी की भाषा में हिज्जे संबधी कोई भूल इंगित कर बैठे |जैसे कोई उपसंपादक अपने अखिल भारतीय ख्याति के संपादक के लेख में दर्ज किसी तथ्यात्मक भूल को दर्शाने के लिए उस पर लाल पेन से घेरा बना दे|जैसे कोई विवाहित पुरुष अपनी सास को लेकर आने वाली ट्रेन का सही समय भूल जाये| जैसे…….. फेहरिस्त बहुत लंबी है |संक्षेप में समझ लें ,ऐसी भूलें अक्षम्य होती हैं|
फार्मूला वन के आयोजक धन्य हैं ,उनके फ्री पास न देने के इस साहस को नमन करने का मन करता है |लेकिन इससे किसी परम्परा की कोई शुरुवात नहीं होने वाली |इसे आप किसी ऐसे रोमांचकारी स्टंट का प्रदर्शन मानें ,जिसके साथ उसे खुद- ब -खुद न दोहराने की चेतावनी संलग्न रहती है |इतिहास ऐसे बलिदानियों की गाथाओं से भरा पड़ा है जिनकी वीरता हमें अभिभूत तो करती रही है ,पर उनकी राह पर चल पड़ने की गलती शायद ही किसी ने की हो |पड़ोसी के घर जन्मा भगत सिंह सब के लिए आदरणीय है ,अपने बच्चों को आत्मघात करता कोई नहीं देखना चाहता |
मेरे शहर के लोगों में सड़कों पर खुले मेनहोलों गड्ढायुक्त सड़कों पर बेतरतीब ट्रेफिक के मध्य हवा की रफ्तार से प्रतिस्पर्धा करती मोटरसाइकिलों के जरिये आसन्न मौत की आशंकाओं के बावजूद खतरों के खिलाड़ी बनने की न्यूनतम योग्यता प्राप्त करने की इच्छाशक्ति नहीं है |वे तो खुद को नटवरलाल के मानसपुत्र बनने में ही अपनी और सारे समाज की भलाई देखते हैं |यहाँ के बच्चे -बच्चे को पता है कि ये फ्री कम्प्ली मेंटरी पास कितने कारगर होते हैं |इनसे प्रशासकीय औपचारिकताओं की जटिलतम वर्गपहेलियाँ कितनी सुगमता से हल हो जाती हैं |शासकीय व्यवस्था के जंग खाए ताले स्वत: खुल जाते हैं |लचर से लचर कार्यक्रम को समाचारपत्रों में भरपूर सचित्र कवरेज और शानदार रिव्यू मिल जाते हैं |
मेरे शहर के किसी बाशिंदे को फार्मूला वन के रोमांच में भागीदार न हो पाने का कोई मलाल नहीं है |उससे अधिक रोमांच का तो हम यहाँ की सड़कों पर रोज ही साक्षात अनुभव करते हैं ,जहाँ से सुरक्षित घर पहुँच गए तो बिना किसी कम्लिमेंटरी पास के पास हो जाते हैं| ऐसा न हो पाने की स्थिति में स्वर्गीय हो कर इस पास -फेल की दुनियावी मोहमाया से मुक्त होने के रास्ते में कभी कोई स्पीड ब्रेकर ,बेरिकेड या ट्रेफिक जाम कभी नहीं मिला करता |
निर्मल गुप्त
रोज़ ही ऐसे वीरों से वास्ता पड़ता है।
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