मेरठ मेरा शहर है .यह जैसा भी है पर है पर है दिल के आसपास.इसे केन्द्र में रखकर लिखा तो एक किताब बनी -एक शहर किस्सों भरा .यह किताब गरियाई भी गई सराही भी गई .
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रविवार, 23 अक्टूबर 2011
दीपावली शुभ हो !
अजब मिज़ाज-ए-बगावत है, हम चरागों में,
किसी के हुक्म पे चलना हमें कबूल नहीं
हवा के जुल्म से बुझना कबूल है हमको ,
हवा के हुक्म से जलना हमें कबूल नही.
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