मेरठ मेरा शहर है .यह जैसा भी है पर है पर है दिल के आसपास.इसे केन्द्र में रखकर लिखा तो एक किताब बनी -एक शहर किस्सों भरा .यह किताब गरियाई भी गई सराही भी गई .
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बुधवार, 7 सितंबर 2011
जनवाणी में प्रकाशित (दिनांक८ सितम्बर २०११ को प्रकाशित व्यंग्य )
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