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मंगलवार, 20 सितंबर 2011

लंबे का सबक



लंबा दुकानदार  एक सप्ताह के प्रवास के बाद मुम्बई से आज ही लौटा था .वह बहुत उत्साहित था .कसबे के बाज़ार में उसकी नकली जेवरात किराये पर देने वाली इकलौती दुकान थी.विवाह के अवसर पर दुल्हन के पहनने लायक जेवर वह मुहँ मांगे दाम पर किराये पर देकर अच्छा मुनाफा कमाता था.मुम्बई जाकर वह लेटेस्ट डिजाइन की ज्वेलरी लाता था.
वह जब भी मुम्बई जाता तो वहाँ से लौटकर उसे लगता कि अपने बाज़ार के अन्य दुकानदारों के बीच उसका कद कुछ और बढ़ गया है यह सच था कि उस बाज़ार के अधिकांश दुकानदार औसत से छोटे कद के थे.वह उन्हें निहायत निरीह समझता था ,जिन पर  केवल दया की जा सकती थी या प्रवचन दिया जा सकता था .
लंबा दुकानदार इस बार मुम्बई से एक ऐसी बात जानकर आया था ,जिसे वह उन बौने दयनीय दुकानदारों को बता देने को आतुर था .मौका मिलते ही उसने अपना प्रवचन शुरू किया --आमची  मुम्बई तो एकदम झकास है .झकास बोले तो .....उसने वाक्य अधूरा छोड़ कर बौनों की ओर सवाल उछाला .सारे बौने लंबे का मुहँ ताकने लगे.उनकी ये हालत देख कर वह और उत्साह से भर उठा. उसने पास की हलवाई की दुकान से आ रही इमारती तलने से उठ रही दिव्य गंध को अपने भीतर  स्थापित करने के लिए लंबी सांस भरी.फिर बोला -मुम्बई में सब अपने काम से काम रखते हैं .कोई व्यापरी किसी  की फटी में कभी टांग नहीं अडाता.इसीलिए वो इतने कामयाब हैं .एक तुम लोग हो ....
लंबे ने फिर वाक्य अधूरा छोड़ दिया .बौनों में कोतुहल बढ़ गया .
लंबा उन मूर्ख बौनों के इस कौतुहल का कुछ देर मज़ा लेने के बाद बोला ,मैं वहाँ सड़क के किनारे एक दुकान पर बैठा था .तभी दो कारें  आपस में टकरा गईं.मुम्बई के दुकानदार ने तुरंत घोषणा कर दी ,देखना अब वो कार  वाला अपनी कार से बाहर आयेगा जिसकी कार की हेडलाइट टूट कर लटक गई है .और ऐसा ही हुआ.उस दुकानदार ने फिर भविष्यवाणी की ,अब टूटी हेडलाइट  गाली देता हुआ दूसरी कार की ओर बढ़ेगा .उसकी बात एकदम सही थी.ऐसा ही हुआ .दुकानदार ने आँखों देखा हाल जारी रखा ,जिसमे एक और भविष्यवाणी थी ,दूसरी कारवाला अपनी कार का शीशा बंद ही रखेगा और कार के भीतर बज रहे संगीत का लुत्फ़ लेता रहेगा ,जैसे कुछ न हुआ हो.अक्षरशः सत्य साबित हुई उसकी यह बात .
दुकानदार ने बात आगे बढ़ायी -अब देखना ये अपनी भड़ास निकलने और  मदद की उम्मीद में हमारी दुकान की ओर आयेगा और मैं ...उसकी बात अधूरी रह गई .टूटी हेडलाइट दुकान के पास आकर जोर जोर से अपनी व्यथा कहने लगा.दुकानदार  तुरंत अपने दोनों हाथों से पंखा झलने लगा .टूटी हेडलाइट निराश हो कर अपनी कार में जा बैठा और उसे स्टार्ट कर आगे बढ़ लिया .लंबा सारी कथा सुनकर मौन हुआ तो बौने उससे प्राप्त इस ज्ञान के प्रति आभार से भर उठे.
उसी दिन शाम को लंबे की दुकान पर कुछ ग्राहक आये .उनसे किसी बात पर उसकी गरमा गर्मी हो गई .बात हाथापाई तक पहुँच गई .ग्राहक चार थे और हष्टपुष्ट भी .लंबा पिटने लगा .उसने मदद के लिए बौनों को पुकारा .उसने देखा कि सारे बौने अपने दोनों हाथों से पंखा झलते मज़े से तमाशा देख रहे हैं .

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