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शनिवार, 3 सितंबर 2011

पहला सबक

पहला सबक
हाथ में गुलेल लिए
एक शैतान बच्चा
गुज़रा गली से
और गली के पुराने
मेहराबदार मकानों की
मुँडेरों पर पसरे कबूतर
फुर्र से उड़े
और गायब हो गए
आकाश की गहराइयों में कहीं
बस, एक कौआ बैठा रहा
घर की अलगनी में
काँव-काँव करता
बच्चे को चिढ़ाता

कौआ जानता है-
गुलेल से पत्थर फेंकने की
संपूर्ण प्रक्रिया
शैतान बच्चे की
लक्ष्यवेधी क्षमता
और आपातकाल में
आपने बचाव के उपाय

कबूतर जानते हैं-
भरपेट दाना चुगना
गुटरगूँ-गुटरगूँ करना
ऊँचे आकाश में उड़ान भरना
और तीव्र गति से फेंके गए
पत्थर से
आहत हो धरती पर गिर जाना
इसके सिवा कुछ भी नहीं

मासूम कबूतरों की मृत देहों के सहारे
परवान चढ़ी है
शैतान बच्चे की क्रूरता
अब उसकी निगाह
फुर्र से उड़ जाने
वाले कबूतरों पर नहीं
कौए की चतुराई पर टिकी है
बच्चा सीख रहा है
गुलेल को पीठ के पीछे
छुपाकर
अपने मासूम चेहरे को
मासूमियत से ढाँप
दुनियादार होने का पहले सबक

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