मुझे नहीं पता कि मेरे शहर में कुल कितने लोग हैं जो अमरीका की पॉप गायिका स्टीफनी जोआन एन्जलिना जेर्मोंतो को जानते हैं |इटेलियन मूल की इस पॉप गायिका को इस नाम से तो कोई कहीं भी नहीं जानता |अलबत्ता लेडी गागा के नाम से विख्यात इस पॉप सनसनी के मुरीदों की फेहरिस्त में इस अकिंचन का नाम भी जुड़ गया है | न्यूयार्क में हुए आतंकवादी हमले की दसवीं बरसी पर लेडी गागा का यह बयान आया -मुझे न्यूयार्क से प्यार है |उससे से मेरा संबध उस पति जैसा है ,जिससे मेरा विवाह नहीं हुआ|
लेडी गागा के इस वक्तव्य से दो बातें एकदम साफ़ हो गईं कि अमरीका में अभी तक पति नाम के प्राणी और प्यार के बीच एक गहरा रिश्ता बरक़रार है और दूसरा यह कि वहाँ बिना विवाह हुए भी पति हुआ करते हैं|मेरे शहर में तो पति प्रतारणा ,धिक्कार ,सार्वजानिक स्थानों पर पिटने योग्य ,गरियाये जाने लायक हुआ करते हैं|उनसे प्यार का भला क्या लेना -देना ?परिवार परामर्श केन्द्रों से जो तस्वीर उभर कर सामने आ रही है ,उससे तो यही पता लगता है |मैं उस पति के सम्बन्ध में कुछ कह पाने की स्थिति में नहीं हूँ जो बिना ब्याह रचाए ही पति का ओहदा हथियाने की हिमाकत करते हैं |ऐसे तथाकथित पतियों के प्रति तो मैं केवल सहानाभूति ही प्रकट कर सकता हूँ| मेरे शहर में जितनी बेकद्री इस पति नाम के प्राणी की है ,उतनी किसी अन्य जीव जंतु की नहीं |वे तो ताडन के शाश्वत अधिकारी माने गए हैं|मुझे उम्मीद है कि लेडी गागा ने जब न्यूयार्क से अपने लगाव के सम्बन्ध में अपनी भावनाएं व्यक्त की होंगी तब उनके मन में यकीनन कोई दुर्भावना या कटाक्ष का भाव नहीं रही होगा|कला से जुड़े लोगों में अभी इतनी संवेदनशीलता है कि ग़मगीन पलों में हँसने हंसाने से परहेज़ करें|
मुझसे आज तक कभी किसी ने नहीं पूछा कि मैं अपने शहर के बारे में क्या भावना रखता हूँ |लेकिन यदि किसी ने मुझसे पूछा तो मैं कहना चाहूँगा कि इस शहर से मेरा रिश्ता बड़ा उलझन भरा रहा है|इस रिश्ते का खुलासा करने में वे तमाम खतरे मौजूद हैं जो सच बोलने पर सुकरात के समय में थे|समय चाहे कितना बदल गया हो साफगोई के साथ जुड़े गंभीर खतरों को नज़रंदाज़ नहीं किया जा सकता|वैसे अब कौन किसको जहर का प्याला पिलाने की ज़हमत उठाता है |मरने -मारने के लिए अनेक बेहतरीन साधन उपलब्ध हैं |जिसकी जैसी औकात ,उसको वैसी मौत|
मैंने पहले ही अर्ज किया कि अभी ऐसी कोई ज़रूरत पेश नहीं आयी है कि मैं अपने शहर के संबध में अपनी राय का खुलासा करने के लिए विवश हूँ |फ़िलहाल यदि मैं झूठ और सच का घालमेल करके काकटेल परोस दूं तो मुझे विश्वास है कि चीयर्स -चीयर्स की कुछ मद्धम आवाजें अवश्य सुनाई देंगी|आज़ादी के बाद हमने फरेब को सच मानकर हथेलियाँ पीटने का काम तो बखूबी |सीख ही लिया है |
यदि मुझे अपनी बात बिना किसी लागलपेट के कहनी हो तो मैं कहना चाहूँगा कि अपने शहर से मैं प्यार भी करता हूँ और गहरी नफरत भी|मेरा इस शहर से नाता उस बीमार औरत जैसा है जो अपने पति से रात दिन लड़ती है ,गली गलौच करती है ,हाथापाई पर अमादा हो जाती है ,पर उसके सिराहने से उठ कर जाने भर के संकेत भर से सिहर कर उससे लिपट जाया करती है|मेरा इस शहर से सम्बन्ध अमीरों की किसी बस्ती के बीच बनी उस झोपड़पट्टी जैसा है ,जिससे शरीफजादे चाहे जितनी नफरत करें पर जिसकी उपस्थिति उनके लिए सस्ते कामगार और घर में काम करने वाली बाईयों उपलब्ध कराने की खूबी के चलते अपरिहार्य होती है |मेरा इस शहर से ताल्लुक ज्योतिषी के उस तोते सरीखा है जो सबका भविष्यबांचने का दिन रात नाटक करते करते इतना बेबस हो चुका है कि पिंजरा खुला रह जाने के बावजूद भी खुले आकाश में परवाज़ नहीं भरता क्योंकि वह उड़ने की कला और ख्वाहिश ही खो चुका है | मेरा शहर गरीब ,मजलूमों, मेहनतकशों के प्रति चाहे जितना असंवेदनशील हो लेकिन वह किसीको अन्ततः पनाह देने में कभी गुरेज़ भी नहीं करता |इस शहर की फिजाओं में गुलाब के फूलों की खुशबू भी है और आत्मा तक को लहूलुहान कर देने वाले बेमुरव्वत तीखे कांटे भी|
लेडी गागा ने किस सहजता से अपने शहर के प्रति अपनी मौहब्बत का इज़हार कर दिया पर जब मैंने इस काम को करना चाहा तो मेरे मन के अँधेरे कोनों में रखे मेरे शहर के इतिहास के वे रक्तरंजित पन्ने फडफडा उठे ,जिन पर मेरे अपने और पूर्वजों के स्याह कारनामे दर्ज हैं|लेकिन मैं केवल उन्हीं पन्नों का बखान फ़िलहाल करूँगा ,जो आने वाले वक्त के लिए रौशन मशाल बन कर हमें सही रास्ता बताने का काम करें|याद रहे मैंने इतिहास के कुछ पन्नों को मोड़ कर छोड़ दिया है ताकि वक्त ज़रूरत उन्हें पेश करने में मुश्किल न हो |इसे आप मेरी कायरता या चतुराई याफिर आत्मरक्षा के लिए संभाल कर रखा गया हथियार , जो चाहे, मान सकते हैं |
लेडी गागा को माध्यम बनाकर अच्छा लिखा है | बधाई |
जवाब देंहटाएंहैरत है निर्मल भाई, आपसे इस तरह की उथली व्यावहारिकता की उम्मीद नहीं थी। परामर्श केंद्रों में जो मामले सामने आ रहे हैं, वह कुल जमा भारतीय सामंती ढांचे के नगण्य हिस्से हैं। आखिरकार तो पुरुष वर्चस्व की तूती घर से बाजार और सडक से दफ्तर तक में है ही। हमारे समय में पति को दीन हीन दिखाने की कीमियागीरी कई चुटकुलों में भी की गई है, लेकिन अंततः वे स्त्री के विरोध में ही जाते हैं।
जवाब देंहटाएंमेरी घनघोर आपत्ति दर्ज की जाए, इस बयान पर और मेरी तईं यह सामंती खाके में स्त्री को देखने और मर्दवादी दीनता के सहारे तीखे व्यंग्य चलाने की फौरी कोशिश है।
सादर
सचिन